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मालाबार नीम / Malabar Neem

मालवार नीम एक बहुउपयोगी होता है, जिसकी सकी तैयार होने पर कम से कम समय में लाखो का लाभ देसकती है। हमारी कंपनी द्वारा मालाबार नीम क टेशन समाचार कुछ किसान भाइयों ने मात्न 3 वर्षों कटाई कर मालाबार नीम की की सेकला में किया और कुछ किसान भाई की कटाई की तैयारी कर रहे हैं जो लकड़ी कंपनी स्वये खरीद कर किसानों को लाभान्वित कर रही है।
SCIENTIFIC NAME-MALABAR NEEM FAMILY-MELIACEAS OTHER NAME- MELIA DUBIA

विषमालाबार नीम का पौधा तेजी से विकसित होता है यह FAST GROWING PLANT कहलाता है मालाबार नीम के पौधा लगाने के पश्चात वर्ष में 12 से 15 फूट बा है। 2 वर्ष में 25 से 30 फुट बढ़ता है। कंपनी द्वारा रोपित कराए गए उन सभी पौधों की ऊंचाई लगभग 3 वर्ष में 30 से 35 फीट आ चुकी है और कटाई के लिए तैयार है। अगर हम 4 से 5 वर्ष में मालाबारीम के देव को कई करे हमें अधिक लाभ मिल सकता है।

दूसरे नाम - मेलिया दुबिया, मलाई बैंबू, मलाबरु वेपा, कुरीपूत इत्यादि । हर राज्य में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मालाबार नीम के पौधे लगाने के बाद उसी जगह में इंटरक्रॉपिंग INTERCROPING की जा सकती है जिसमें सब्जी, अदरक, हल्दी, चना, जिमी कांदा, औषधि उगाई जा सकती है। जिससे हमें कम से कम समय में अधिक लाभ मिल सके।

मालाबार लकड़ी का उपयोग - मालाबार नीम की लकड़ी यह हल्की लकड़ी होती है जिसका उपयोग विशेषतः प्लाईवुड उद्योग एवं माचिस की तीली बनाने के लिए होता है। इसका उपयोग पेंसिल, टूथपिक, पेपर, खिलौने, पैकिंग बॉक्स एवं फर्नीचर बनाने के लिए भी किया जाता है।

उत्पादन एवं लाभ - मालाबार नीम के वृक्ष से हमें लगभग 200 से 400 किलो लकड़ी मिल सकती है। जिसका बाजार मूल्य ₹6000 से ₹7000 प्रति टन है यानि 26 से 27 प्रति किलो। एक वृक्ष से हमें लगभग ₹1500 से ₹2000 प्राप्त हो सकता है। 1 एकड़ में 750 से 900 पौधे लगाए जाते हैं जिसके अनुसार हमें 10 से 15 लाख रुपए का अच्छा लाभ मिल सकता है।

महोगनी /Mahogani

महोगनी की लकड़ी का उपयोग विशेषतः फर्नीचर, सजावट के सामान बनाने हेतु जाता है। इसका उपयोग प्लाईवुड, मूर्तियाँ में भी होता है। इसके फल एवं बीज का औषधी बनाने के लिए किया जाता है, शक्तिवर्धक दवाईयाँ बनाई जाती है। इसकी | एक खास गुण पाया जाता है जिसके कारण पेड़ के निचे मच्छर या कीट नहीं होते। इसके एवं बीज के तेल का उपयोग मच्छर मारने एवं शकों को बनाने में किया जाता है।

व्यापारिक दृष्टिकोण से महोगनी बहुत ही कीमती वृक्ष है। महोगनी की वैसे तो बहुत सी प्रजातियां है लेकिन अफ्रीकन महोगनी की बाजार में बहुत अधिक मांग है। इसलिए महोगनी के पौधे लगाकर हम अच्छा लाभ पा सकते हैं।

विशेषता: महोगनी का पौधा 1 वर्ष में 8-10 फीट, 4-5 वर्षों में 25-30 फीट एवं 8-10 वर्षों में 35-40 फीट तक बढ़ता है।

लगाने की विधि - महोगनी पौधे को हम 10 X 8 की दूरी पर लगा सकते हैं जिससे पौधे की अधिक ग्रोथ हो। महोगनी पौधे का वृक्षारोपण हम जलभराव वाली भूमि को छोड़ कर किसी भी प्रकार के जमीन में कर सकते हैं। महोगनी के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त होता है।
गड्ढे का आकार - 1X 1X1 FT
प्लांट टू प्लांट - 10 FT
कॉर्नर से कॉर्नर - 8 FT

सफेद चंदन / White Sandalwood

सफेद चंदन का पौधा परजीवी होता है। इसके साथ हमे होस्ट प्लांट लगाना होता है। जिसमें प्राइमरी होस्ट, सेकेंडरी होस्ट एवं परमानेंट होस्ट पौधों का चयन करना होता है। हमारे देश में अभी तक सागौन की लकड़ी को सबसे कीमती समझा जाता था। हाईटेक ग्रीन वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की नई सोच से चंदन की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया है। हमारी कंपनी प्रथम ऐसी कंपनी है जिसके द्वारा लगभग 8 वर्षों से चंदन की खेती कराई जा रही है। जिसके 8 वर्ष तक के चंदन के प्लाटेशन तैयार हो चुके है। कुछ वर्ष बाद किसान भाई कटाई कर लाखो, करोड़ों रूपए लाभ प्राप्त कर पाएंगे। लाल चंदन की लकड़ी की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है। भांग अधिक एवं लकड़ी की उपलब्धता कम होने की वजह से इस लकड़ी का मूल्य अधिक है।

विशेषता - सफेद चंदन का वृक्ष परजीवी होने की वजह से इसे तैयार होने में लगभग 12 से 15 वर्ष का समय लगता है। सफेद चंदन के वृक्ष से 7 से 8 वर्ष बाद वृक्ष के बीच के भाग में जिसे हम गांट, गाया, सार या हार्टवुड कहते हैं उसमें सुगंध आनी शुरू हो जाती है। इस वृक्ष की लकड़ी शाखाओं एवं जड़ों में सुगंधित तेल की माता होती है जिसकी कीमत बाजार में लाखों रुपए प्रति मीटर है इसलिए यह बहुमूल्य होता है।

उपयोग - पूरे विश्व में चंदन की खेती सिर्फ चार से पांच देशों में की जाती है लेकिन भारतीय चंदन पूरे विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। सबसे अच्छी पैदावार भारत में होती है और सबसे ऊंचा दर्जे का चंदन भारत में होता है। इसलिए पूरे विश्व में भारतीय चंदन की बहुत मांग है। सफेद चंदन की लकड़ी का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन उद्योग, औषधी उद्योग, इल उद्योग, धूप अगरबत्ती के लिए किया जाता है। इसकी लकड़ी का उपयोग सुगंधित तेल, चंदन पाउडर, चंदन साबुन बनाने में भी किया जाता है।

लाल चंदन / Red Sandalwood

विशेषता - चंदन का वृक्ष लगभग 10 से 12 वर्षों में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। हमारी कंपनी द्वारा 8 वर्ष पूर्व लगाए गए चंदन के वृक्षों की ऊंचाई 20 से 25 फीट एवं गोलाई 2 फीट तक आ चुकी है। लाल चंदन के लकड़ी में रक्त जैसा तालपन होता है इसलिए इसे रक्त चंदन कहा जाता है। इसकी तकड़ी में महक (सुगंध) नहीं होती है।

उपयोग - पूरे विश्व में चंदन की खेती सिर्फ चार से पांच देशों में की जाती है लेकिन भारतीय चंदन पूरे विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। सबसे अच्छी पैदावार भारत में होती है और सबसे ऊंचा दर्जे का चंदन भारत में होता है। इसलिए पूरे विश्व में भारतीय चंदन की बहुत मांग है।

लाल चंदन और इसे रक्तचंदन भी कहा जाता है। हमारे देश में अभी तक सागौन की लकड़ी की सबसे कीमती समझा जाता था। हाईटेक ग्रीन वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की नई सोच से चंदन की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया है। हमारी कंपनी प्रथम ऐसी कंपनी है जिसके द्वारा लगभग 8 वर्षों से चंदन की खेती कराई जा रही है। जिसके 8 वर्ष तक के चंदन के प्लांटेशन तैयार हो चुके हैं। कुछ वर्ष बाद किसान भाई। कटाई कर लाखों, करोड़ों रुपए लाभ प्राप्त कर पाएंगे। लाल चंदन की लकड़ी की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत माग है। माग अधिक एवं लकड़ी की उपलब्यता कम होने की वजह से इस लकड़ी का मूल्य अधिक है।

लगाने की विधि - लाल चंदन के पौधों को हम 10 X 10 फीट में लगा सकते हैं 1 एकड़ में लगभग | 425 से 430 पौधे लगाए जाते हैं। लाल चन्दन का वृक्षारोपण किसी भी प्रकार के मिट्टी में किया जा सकता है सिर्फ जलभराव ना हो। ताल चंदन की लकड़ी का उपयोग कॉस्मेटिक उद्योग, फार्मास्यूटिकल उद्योग, इंस्ट्रूमेंटल उद्योग (वाद्य उद्योग), औषधि बनाने एवं खिलौने बनाने के लिए किया जाता है। लाल चंदन की मांग विशेषता जापान एवं चाइना में बहुत अधिक है।
गद्वे का आकार - 1X 1X1 FT
प्लांट टू प्लांट - 10 FT
कॉर्नर से कॉर्नर - 10 FT